Coupletss of Raza Azimabadi

Coupletss of Raza Azimabadi
नामरज़ा अज़ीमाबादी
अंग्रेज़ी नामRaza Azimabadi

ज़ख़्म के लगते ही क्या खुल गए छाती के किवाड़

यारब तू उस के दिल से सदा रखियो ग़म को दूर

सुनते तो थे 'रज़ा' हैं सब हैं बड़े मुसलमाँ

सौ ईद अगर ज़माने में लाए फ़लक व-लेक

सौ ग़म्ज़े के रखता है निगहबान पस-ओ-पेश

सब कुछ पढ़ाया हम को मुदर्रिस ने इश्क़ के

रफ़ू फिर कीजियो पैराहन-ए-यूसुफ़ को ऐ ख़य्यात

नौ-मश्क़-ए-इश्क़ हैं हम आहें करें अजब क्या

न काबा है यहाँ मेरे न है बुत-ख़ाना पहलू में

क्या कहें अपनी सियह-बख़्ती ही का अंधेर है

किस तरह 'रज़ा' तू न हो धवाने ज़माना

ख़्वाह काफ़िर मुझे कह ख़्वाह मुसलमान ऐ शैख़

ख़ुशा हो कर बुताँ कब आशिक़ों को याद करते हैं

काबे में शैख़ मुझ को समझे ज़लील लेकिन

काबा ओ दैर जिधर देखा उधर कसरत है

जिस तरह हम रहे दुनिया में हैं उस तरह 'रज़ा'

इस चश्म ओ दिल ने कहना न माना तमाम उम्र

इमारत दैर ओ मस्जिद की बनी है ईंट ओ पत्थर से

इलाही चश्म-ए-बद उस से तू दूर ही रखियो

हम को मिली है इश्क़ से इक आह-ए-सोज़-नाक

गर गरेबाँ सिया तो क्या नासेह

इक दम के वास्ते न किया क्या क्या ऐ 'रज़ा'

देखी थी एक रात तिरी ज़ुल्फ़ ख़्वाब में

चला है काबे को बुत-ख़ाने से 'रज़ा' यारो

ऐसा किसी से जुनूँ दस्त-ओ-गरेबाँ न हो

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