अहमद फ़राज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद फ़राज़ (page 4)
नाम | अहमद फ़राज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Faraz |
जन्म की तारीख | 1931 |
मौत की तिथि | 2008 |
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
कौन ताक़ों पे रहा कौन सर-ए-राहगुज़र
कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो
कभी 'फ़राज़' से आ कर मिलो जो वक़्त मिले
जुज़ तिरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र
जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया
जो ग़ज़ल आज तिरे हिज्र में लिक्खी है वो कल
जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए
जिस से ये तबीअत बड़ी मुश्किल से लगी थी
जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो
जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो
जब भी दिल खोल के रोए होंगे
जाने किस आलम में तू बिछड़ा कि है तेरे बग़ैर
इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
इस से बढ़ कर कोई इनआम-ए-हुनर क्या है 'फ़राज़'
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
इस अहद-ए-ज़ुल्म में मैं भी शरीक हूँ जैसे
हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं
हम को उस शहर में तामीर का सौदा है जहाँ
हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिरा
हम अगर मंज़िलें न बन पाए
हुजूम ऐसा कि राहें नज़र नहीं आतीं
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम
हो दूर इस तरह कि तिरा ग़म जुदा न हो
हवा में नश्शा ही नश्शा फ़ज़ा में रंग ही रंग
हर तरह की बे-सर-ओ-सामानियों के बावजूद
हँसी-ख़ुशी से बिछड़ जा अगर बिछड़ना है
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं