अल्लामा इक़बाल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अल्लामा इक़बाल (page 6)
नाम | अल्लामा इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Allama Iqbal |
जन्म की तारीख | 1877 |
मौत की तिथि | 1938 |
जन्म स्थान | Lahore |
हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी
हवा हो ऐसी कि हिन्दोस्ताँ से ऐ 'इक़बाल'
हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक
हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
हाँ दिखा दे ऐ तसव्वुर फिर वो सुब्ह ओ शाम तू
हकीम ओ आरिफ़ ओ सूफ़ी तमाम मस्त-ए-ज़ुहूर
हैं उक़्दा-कुशा ये ख़ार-ए-सहरा
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें
गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर
गला तो घोंट दिया अहल-ए-मदरसा ने तिरा
फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर
फ़िर्क़ा-बंदी है कहीं और कहीं ज़ातें हैं
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
एक सरमस्ती ओ हैरत है सरापा तारीक
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप को
बुतों से तुझ को उमीदें ख़ुदा से नौमीदी
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़
बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
अज़ाब-ए-दानिश-ए-हाज़िर से बा-ख़बर हूँ मैं
'अत्तार' हो 'रूमी' हो 'राज़ी' हो 'ग़ज़ाली' हो
अक़्ल को तन्क़ीद से फ़ुर्सत नहीं
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी