Coupletss of Nizam Rampuri (page 2)

Coupletss of Nizam Rampuri (page 2)
नामनिज़ाम रामपुरी
अंग्रेज़ी नामNizam Rampuri
जन्म की तारीख1822
मौत की तिथि1872

जो कि नादाँ है वो क्या जाने तिरी चाहत की क़द्र

जो जो मज़े किए हैं ज़बाँ से मैं क्या कहूँ

इस क़दर आप का इताब रहे

हुए नुमूद जो पिस्ताँ तो शर्म खा के कहा

हक़ बात तो ये है कि उसी बुत के वास्ते

है ख़ुशी इंतिज़ार की हर दम

गर कोई पूछे मुझे आप इसे जानते हैं

इक वो कि रात दिन रहें महफ़िल में उस की हाए

इक बात लिखी है क्या ही मैं ने

दुश्मन से और होतीं बहुत बातें प्यार की

दो दिन भी उस सनम से न अपनी निभी कभी

देना वो उस का साग़र-ए-मय याद है 'निज़ाम'

देख कर ग़ैर को शोख़ी देखो

दरबाँ से आप कहते थे कुछ मेरे बाब में

छेड़ हर वक़्त की नहीं जाती

बोसा तो उस लब-ए-शीरीं से कहाँ मिलता है

बे-साख़्ता निगाहें जो आपस में मिल गईं

बहर-ए-हस्ती से कूच है दरपेश

अपनी अंदाज़ के कह शेर न कह ये तू 'निज़ाम'

अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ

अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो

अभी तो कहा ही नहीं मैं ने कुछ

अब तुम से क्या किसी से शिकायत नहीं मुझे

अब तो सब का तिरे कूचे ही में मस्कन ठहरा

अब क्या मिलें किसी से कहाँ जाएँ अब 'निज़ाम'

अब किस को याँ बुलाएँ किस की तलब करें हम

अब आओ मिल के सो रहें तकरार हो चुकी

आप देखें तो मिरे दिल में भी क्या क्या कुछ है

आँखें फूटें जो झपकती भी हों

आए भी वो चले भी गए याँ किसे ख़बर

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