Qita Poetry (page 13)
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
आसिम पीरज़ादा
मुंतशिर हम हैं तो रुख़्सारों पे शबनम क्यूँ है
हबीब हाश्मी
मुन्तशर हो गई वुसअ'त में सितारों की तरह
अली सरदार जाफ़री
मुन्ने का बस्ता
सरफ़राज़ शाहिद
मुमकिन है फ़ज़ाओं से ख़लाओं के जहाँ तक
अहमद नदीम क़ासमी
मुजरिम-ए-सरताबी-ए-हुस्न-ए-जवाँ हो जाइए
असरार-उल-हक़ मजाज़
मुझ को तो आप मिरे ख़्वाब में मिल जाएँगे
साबिर दत्त
मुझ को इन अर्ज़ी ख़ुदाओं ने अगर लूटा है
जावेद कमाल रामपुरी
मुझ को चुप-चाप इस तरह मत देख
मुस्तफ़ा ज़ैदी
मुझे साग़र दोबारा मिल गया है
असरार-उल-हक़ मजाज़
मुफ़लिसों को अमीर कहते हैं
अब्दुल हमीद अदम
मुफ़्लिसी के वक़्त अक्सर इशरत-ए-रफ़्ता की याद
एहसान दानिश
मुफ़्लिसी और इस में घर पर हम-नशीनों का हुजूम
एहसान दानिश
मुद्दतों कोर-निगाही दिल की
मुस्तफ़ा ज़ैदी
मुद्दतें हो गईं ख़ता करते
हबीब जालिब
मुबहम पयाम
जोश मलीहाबादी
मुआमला-बंदी
अमीरुल इस्लाम हाशमी
मोटे शीशों की नाक पे ऐनक
अनवर मसूद
मोहब्बत! ऐ कि तू देवी है ग़म की रोए जा
अख़्तर अंसारी
मोहब्बत माँ से और बीवी से जिस का प्यार होता है
इनाम-उल-हक़ जावेद
मोहब्बत का जुनूँ बाक़ी नहीं है
अल्लामा इक़बाल
मीज़ान हाथ में है ज़ियाँ की न सूद की
रईस अमरोहवी
मिस्टर कॉफ़ी
अमीरुल इस्लाम हाशमी
मीरज़ा 'ग़ालिब'
सय्यद ज़मीर जाफ़री
'मीर' को ज़ोफ़ में मैं देख कहा कुछ कहिए
मीर तक़ी मीर
मिलावट
सय्यद ज़मीर जाफ़री
मेरी तन्हाइयाँ भी शाएर हैं
वसीम बरेलवी
मिरी शिकस्त पे इक परतव-ए-जमाल तो है
अहमद नदीम क़ासमी
मिरी निगाह से वो देखते रहे हैं मुझे
हबीब जालिब
मिरी जवानी बहारों में भी उदास रही
कश्मीरी लाल ज़ाकिर