Qita Poetry (page 14)
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
जौन एलिया
मेरी ग़मगीन ओ ज़र्द सूरत को
नरेश कुमार शाद
मिरी गली में ये आहट थी किस के क़दमों की
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
मेरी फ़िक्र-ओ-नज़र के चेहरे पर
नरेश कुमार शाद
मेरी दुनिया में मोहब्बत नहीं कहते हैं इसे
अली सरदार जाफ़री
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम
आसिम पीरज़ादा
मेरी अक़्ल-ओ-होश की सब हालतें
जौन एलिया
मेरी आँखों में नींद चुभती है
मुस्तफ़ा ज़ैदी
मिरे टूटे हुए दिल की सदा से खेलने वाले
नज़ीर बनारसी
मेरे माज़ी से चली आती है हर रोज़ वो रात
साबिर दत्त
मिरे ख़ुश-नज़र मिरे ख़ुश-ख़बर
अमजद इस्लाम अमजद
मिरे कासा-ए-शब-ओ-रोज़ में
अमजद इस्लाम अमजद
मिरे दिल की उदास वादी में
अब्दुल हमीद अदम
मेरे आक़ा तुझे बंदे का ख़याल आ ही गया
हफ़ीज़ जालंधरी
मेरा ज़ौक़-ए-सज्दा-रेज़ी रास जिन को आ गया
अलक़मा शिबली
मिरा मन है शहर-ए-गोकुल की तरह से साफ़-सुथरा
नज़ीर बनारसी
मेंह बरस कर थम गया है फट गए अब्र-ए-सियाह
एहसान दानिश
मेराज-ए-वफ़ा
सय्यद ज़मीर जाफ़री
मायूसी
शौकत परदेसी
मायूस हो गई है दुआ भी जबीन भी
अब्दुल हमीद अदम
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
आसिम पीरज़ादा
मौत को जानते हैं अस्ल-ए-हयात-ए-अबदी
अली सरदार जाफ़री
मौत की सी पुर-सुकूँ वीरानियाँ
अख़्तर अंसारी
मौत की आग में तप तप के निखरती है हयात
अली सरदार जाफ़री
मौत के ब'अद भी तो चलता है
वसीम बरेलवी
मौत का सर्द हाथ भी साक़ी
अब्दुल हमीद अदम
मौक़ा-ए-यास कभी तेरी नज़र ने न दिया
परवेज़ शाहिदी
मता-ए-लौह-ओ-क़लम छिन गई तो क्या ग़म है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
मस्जिद को मत जाया कर
सय्यदा अरशिया हक़
मसअला पानी का
खालिद इरफ़ान