Coupletss of Haneef Akhgar

Coupletss of Haneef Akhgar
नामहनीफ़ अख़गर
अंग्रेज़ी नामHaneef Akhgar
जन्म की तारीख1928
मौत की तिथि2009
जन्म स्थानamerica

ये सानेहा भी बड़ा अजब है कि अपने ऐवान-ए-रंग-ओ-बू में

याद-ए-फ़रोग़-ए-दस्त-ए-हिनाई न पूछिए

वो कम-सिनी में भी 'अख़्गर' हसीन था लेकिन

तुम्हारी आँखों की गर्दिशों में बड़ी मुरव्वत है हम ने माना

शामिल हुए हैं बज़्म में मिस्ल-ए-चराग़ हम

शदीद तुंद हवाएँ हैं क्या किया जाए

पूछती रहती है जो क़ैसर-ओ-किसरा का मिज़ाज

पल-भर न बिजलियों के मुक़ाबिल ठहर सके

निगाहें फेरने वाले ये नज़रें उठ ही जाती हैं

लोग मिलने को चले आते हैं दीवाने से

कुश्ता-ए-ज़बत-ए-फुग़ाँ नग़्मा-ए-बे-साज़-ओ-सदा

कोई साग़र पे साग़र पी रहा है कोई तिश्ना है

किसी के जौर-ए-मुसलसल का फ़ैज़ है 'अख़्गर'

ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे

काफ़िर सही हज़ार मगर इस को क्या कहें

जो मुसाफ़िर भी तिरे कूचे से गुज़रा होगा

जो कुशूद-ए-कार-ए-तिलिस्म है वो फ़क़त हमारा ही इस्म है

जो है ताज़गी मिरी ज़ात में वही ज़िक्र-ओ-फ़िक्र-ए-चमन में है

जब भी उस ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ की हवा आती है

इज़हार पे भारी है ख़मोशी का तकल्लुम

इश्क़ में दिल का ये मंज़र देखा

हसीन सूरत हमें हमेशा हसीं ही मालूम क्यूँ न होती

हर-चंद हमा-गीर नहीं ज़ौक़-ए-असीरी

हर तरफ़ हैं ख़ाना-बर्बादी के मंज़र बे-शुमार

फ़ुक़दान-ए-उरूज-ए-रसन-ओ-दार नहीं है

देखो हमारी सम्त कि ज़िंदा हैं हम अभी

देखिए रुस्वा न हो जाए कहीं कार-ए-जुनूँ

बे-शक असीर-ए-गेसू-ए-जानाँ हैं बे-शुमार

बज़्म को रंग-ए-सुख़न मैं ने दिया है 'अख़्गर'

अजब है आलम अजब है मंज़र कि सकता में है ये चश्म-ए-हैरत

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