Coupletss of Shahzad Ahmad (page 3)

Coupletss of Shahzad Ahmad (page 3)
नामशहज़ाद अहमद
अंग्रेज़ी नामShahzad Ahmad
जन्म की तारीख1932
मौत की तिथि2012
जन्म स्थानLahore

सारी मख़्लूक़ तमाशे के लिए आई थी

सफ़र-ए-शौक़ है बुझते हुए सहराओं में

सफ़र भी दूर का है और कहीं नहीं जाना

सब की तरह तू ने भी मिरे ऐब निकाले

रौशन भी करोगे कभी तारीकी-ए-शब को

रहने दिया न उस ने किसी काम का मुझे

पत्थर न फेंक देख ज़रा एहतियात कर

पास रह कर भी न पहचान सका तू मुझ को

पैरहन चुस्त हवा सुस्त खड़ी दीवारें

पैकर-ए-गुल आसमानों के लिए बेताब है

नींद आती है अगर जलती हुई आँखों में

नींद आए तो अचानक तिरी आहट सुन लूँ

नक़्श-ए-हैरत बन गई दुनिया सितारों की तरह

न सही कुछ मगर इतना तो किया करते थे

न सही जिस्म मगर ख़ाक तो उड़ती फिरती

न मिले वो तो तलाश उस की भी रहती है मुझे

न मैं ने दस्त-शनासी का फिर किया दावा

मुसाफ़िर हो तो सुन लो राह में सहरा भी आता है

मुझे बस इतनी शिकायत है मरने वालों से

मेरी रुस्वाई में वो भी हैं बराबर के शरीक

मयस्सर फिर न होगा चिलचिलाती धूप में चलना

मतलूब है क्या अब यही कहते नहीं बनती

मंज़िल पे जा के ख़ाक उड़ाने से फ़ाएदा

मंज़िल है कठिन दिल बहुत आराम-तलब है

मैं तिरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता

मैं सुन रहा हूँ मगर दूसरों को कैसे सुनाऊँ

मैं गुल-ए-ख़ुश्क हूँ लम्हे में बिखर सकता हूँ

मैं चाहता हूँ हक़ीक़त-पसंद हो जाऊँ

मैं अपनी जाँ में उसे जज़्ब किस तरह करता

लोग ज़िंदा नज़र आते थे मगर थे मक़्तूल

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