Coupletss of Zaki Kakorvi

Coupletss of Zaki Kakorvi
नामज़की काकोरवी
अंग्रेज़ी नामZaki Kakorvi

ये रात यूँही बसर हो गई तो क्या होगा

याद इतना है कि मैं होश गँवा बैठा था

याद आए हैं उफ़ गुनह क्या क्या

वो तिरी ज़ुल्फ़ का साया हो कि आग़ोश तिरा

वाए नाकामी-ए-क़िस्मत कि भँवर से बच कर

उलझी थीं जिन नसीम से कलियाँ ख़बर न थी

तू ही बता दे कैसे काटूँ

तिरी जवान उमंगों को हो गया है क्या

शिकवा नहीं दुनिया के सनम-हा-ए-गिराँ का

साफ़ कहिए कि प्यार करते हैं

रुमूज़-ए-इश्क़ की गहराइयाँ सलामत हैं

मुझ को सुकूँ की चैन की पज़मुर्दगी से क्या

मरने के बअ'द कोई पशेमाँ हुआ तो क्या

मंज़िल जिसे समझते थे यारान-ए-क़ाफ़िला

मैं ने तन्हाइयों के लम्हों में

लोग कहते रहे क़रीब है वो

कितने ही फूल चुन लिए मैं ने

कारवाँ तो निकल गया कोसों

जुनूँ के कैफ़-ओ-कम से आगही तुझ को नहीं नासेह

हुस्न जिस हाल में नज़र आया

दूसरों को फ़रेब दे दे कर

दर्द-ए-दिल ने ली न थी करवट अभी

बुरी तक़दीर के रोने से हासिल

अक़्ल ने तर्क-ए-तअल्लुक़ को ग़नीमत जाना

अहल-ए-दिल ने किए तामीर हक़ीक़त के सुतूँ

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