Coupletss of Iftikhar Arif (page 2)

Coupletss of Iftikhar Arif (page 2)
नामइफ़्तिख़ार आरिफ़
अंग्रेज़ी नामIftikhar Arif
जन्म की तारीख1940
जन्म स्थानIslamabad

समुंदरों को भी हैरत हुई कि डूबते वक़्त

समुंदर के किनारे एक बस्ती रो रही है

समझ रहे हैं मगर बोलने का यारा नहीं

सब लोग अपने अपने क़बीलों के साथ थे

रोज़ इक ताज़ा क़सीदा नई तश्बीब के साथ

रिंद मस्जिद में गए तो उँगलियाँ उठने लगीं

रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है

रास आने लगी दुनिया तो कहा दिल ने कि जा

रंग से ख़ुशबुओं का नाता टूटता जाता है

पयम्बरों से ज़मीनें वफ़ा नहीं करतीं

मुंहदिम होता चला जाता है दिल साल-ब-साल

मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ़्ता-सरों ने

मिट्टी की गवाही से बड़ी दिल की गवाही

मिरे सारे हर्फ़ तमाम हर्फ़ अज़ाब थे

मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर दे

मिरा ख़ुश-ख़िराम बला का तेज़-ख़िराम था

मंसब न कुलाह चाहता हूँ

मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत

मैं उस से झूट भी बोलूँ तो मुझ से सच बोले

मैं जिस को एक उम्र सँभाले फिरा किया

मैं जिस को अपनी गवाही में ले के आया हूँ

मैं चुप रहा कि वज़ाहत से बात बढ़ जाती

मैं अपने ख़्वाब से कट कर जियूँ तो मेरा ख़ुदा

मआल-ए-इज़्ज़त-ए-सादात-ए-इश्क़ देख के हम

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहजे में

कोई जुनूँ कोई सौदा न सर में रक्खा जाए

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है

खुला फ़रेब-ए-मोहब्बत दिखाई देता है

ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं

खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख

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