Coupletss of Iftikhar Arif (page 3)

Coupletss of Iftikhar Arif (page 3)
नामइफ़्तिख़ार आरिफ़
अंग्रेज़ी नामIftikhar Arif
जन्म की तारीख1940
जन्म स्थानIslamabad

ख़ाक में दौलत-ए-पिंदार-ओ-अना मिलती है

कारोबार में अब के ख़सारा और तरह का है

करें तो किस से करें ना-रसाइयों का गिला

कहीं कहीं से कुछ मिसरे एक-आध ग़ज़ल कुछ शेर

कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं

कहाँ के नाम ओ नसब इल्म क्या फ़ज़ीलत क्या

जो हर्फ़-ए-हक़ की हिमायत में हो वो गुम-नामी

जो डूबती जाती है वो कश्ती भी है मेरी

जवाब आए न आए सवाल उठा तो सही

जब 'मीर' ओ 'मीरज़ा' के सुख़न राएगाँ गए

इस बार भी दुनिया ने हदफ़ हम को बनाया

हम भी इक शाम बहुत उलझे हुए थे ख़ुद में

हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं

हुआ है यूँ भी कि इक उम्र अपने घर न गए

हर नई नस्ल को इक ताज़ा मदीने की तलाश

हर इक से पूछते फिरते हैं तेरे ख़ाना-ब-दोश

हमीं में रहते हैं वो लोग भी कि जिन के सबब

हामी भी न थे मुंकिर-ए-'ग़ालिब' भी नहीं थे

हमें तो अपने समुंदर की रेत काफ़ी है

हमें भी आफ़ियत-ए-जाँ का है ख़याल बहुत

घर से निकले हुए बेटों का मुक़द्दर मालूम

घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ

ग़म-ए-जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए

इक ख़्वाब ही तो था जो फ़रामोश हो गया

एक हम ही तो नहीं हैं जो उठाते हैं सवाल

एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा

दुनिया बदल रही है ज़माने के साथ साथ

डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए

दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में

दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता हूँ

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