हबीब जालिब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हबीब जालिब (page 2)

हबीब जालिब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हबीब जालिब (page 2)
नामहबीब जालिब
अंग्रेज़ी नामHabib Jalib
जन्म की तारीख1929
मौत की तिथि1993
जन्म स्थानLahore

तुम्हें तो नाज़ बहुत दोस्तों पे था 'जालिब'

तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था

तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों

पा सकेंगे न उम्र भर जिस को

न तेरी याद न दुनिया का ग़म न अपना ख़याल

लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी

लाख कहते रहें ज़ुल्मत को न ज़ुल्मत लिखना

कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ

कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ

जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें

जिन की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिन के लिए बदनाम हुए

इक उम्र सुनाएँ तो हिकायत न हो पूरी

इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें

एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है

दुनिया तो चाहती है यूँही फ़ासले रहें

दिल की बात लबों पर ला कर अब तक हम दुख सहते हैं

छोड़ इस बात को ऐ दोस्त कि तुझ से पहले

आने वाली बरखा देखें क्या दिखलाए आँखों को

ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखना

यौम-ए-मई

उट्ठो मरने का हक़ इस्तिमाल करो

तेज़ चलो

तेरे होने से

शहर-ए-ज़ुल्मात को सबात नहीं

सहाफ़ी से

सच ही लिखते जाना

रेफ़्रेनडम

'नूर-जहाँ'

नीलो

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