Coupletss of Muneer Shikohabadi

Coupletss of Muneer Shikohabadi
नाममुनीर शिकोहाबादी
अंग्रेज़ी नामMuneer Shikohabadi
जन्म की तारीख1814
मौत की तिथि1880

ज़िंदा-ए-जावेद हैं मारा जिन्हें उस शोख़ ने

ज़ाहिदो पूजा तुम्हारी ख़ूब होगी हश्र में

याद उस बुत की नमाज़ों में जो आई मुझ को

विर्द-ए-इस्म-ए-ज़ात खोला चाहता है ये गिरह

वहशत में बसर होते हैं अय्याम-ए-शबाब आह

वहाँ पहुँच नहीं सकतीं तुम्हारी ज़ुल्फ़ें भी

उस्ताद के एहसान का कर शुक्र 'मुनीर' आज

उसी हूर की रंगत उड़ी रोने से हमारे

उस बुत के नहाने से हुआ साफ़ ये पानी

उलझा है मगर ज़ुल्फ़ में तक़रीर का लच्छा

तेरी फ़ुर्क़त में शराब-ए-ऐश का तोड़ा हुआ

तिरे कूचे से जुदा रोते हैं शब को आशिक़

तेग़-ए-अबरू के मुझे ज़ख़्म-ए-कुहन याद आए

तारीफ़ रोज़ लेते हो अपने ग़ुरूर की

सुर्ख़ी शफ़क़ की ज़र्द हो गालों के सामने

सुनती है रोज़ नग़्मा-ए-ज़ंजीर-ए-आशिक़ाँ

सिलसिला गबरू मुसलमाँ की अदावत का मिटा

शुक्र है जामा से बाहर वो हुआ ग़ुस्से में

शर्म कब तक ऐ परी ला हाथ कर इक़रार-ए-वस्ल

शबनम की है अंगिया तले अंगिया की पसीना

सरसों जो फूली दीदा-ए-जाम-ए-शराब में

सख़्ती-ए-दहर हुए बहर-ए-सुख़न में आसाँ

सदमे से बाल शीशा-ए-गर्दूँ में पड़ गया

सब्र कब तक राह पैदा हो कि ऐ दिल जान जाए

सब ने लूटे उन के जल्वे के मज़े

रोज़ दिल-हा-ए-मै-कशाँ टूटे

रिंदों को पाबंदी-ए-दुनिया कहाँ

पाया तबीब ने जो तिरी ज़ुल्फ़ का मरीज़

पहुँचा है उस के पास ये आईना टूट के

पड़ गई जान जो उस तिफ़्ल ने पत्थर मारे

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