Coupletss of Siraj Aurangabadi (page 3)

Coupletss of Siraj Aurangabadi (page 3)
नामसिराज औरंगाबादी
अंग्रेज़ी नामSiraj Aurangabadi
जन्म की तारीख1714
मौत की तिथि1763
जन्म स्थानAurangabad

कभी सम्त-ए-ग़ैब सीं क्या हुआ कि चमन ज़ुहूर का जल गया

कभी ला ला मुझे देते हो अपने हात सीं प्याला

कभी जो आह के मिसरे कूँ याद करता हूँ

जुनूँ के शहर में नीं कम-अयार कूँ हुर्मत

जिस कूँ तुझ ग़म सीं दिल-शिगाफ़ी है

जिस कूँ पिव के हिज्र का बैराग है

जीना तड़प तड़प कर मरना सिसक सिसक कर

जाता है मिरा जान निपट प्यास लगी है

जब सीं लाया इश्क़ ने फ़ौज-ए-जुनूँ

जाँ-सिपारी दाग़ कत्था चूना है चश्म-ए-इन्तिज़ार

इश्क़ का नाम गरचे है मशहूर

इश्क़ दोनों तरफ़ सूँ होता है

इश्क़ और अक़्ल में हुई है शर्त

इस अदब-गाह कूँ तूँ मस्जिद-ए-जामे मत बूझ

हिरन सब हैं बराती और दिवाना बन का दूल्हा है

हिज्र की रातों में लाज़िम है बयान-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार

हक़ में उश्शाक़ के क़यामत है

हमारी बात मोहब्बत सीं तुम जो गोश करो

हाकिम-ए-इश्क़ ने जब अक़्ल की तक़्सीर सुनी

ग़ैर तरफ़ क्यूँकि नज़र कर सकूँ

फ़िदा कर जान अगर जानी यही है

डूब जाता है मिरा जी जो कहूँ क़िस्सा-ए-दर्द

डोरे नहीं हैं सुर्ख़ तिरी चश्म-ए-मस्त में

दो-रंगी ख़ूब नहीं यक-रंग हो जा

दिल मिरा ज़ुल्फ़ सेती छूट फँसा अबरू में

दिल में आ राह-ए-चश्म-ए-हैराँ सीं

दिल ले गया है मुझ कूँ दे उम्मीद-ए-दिल-दही

देखा है जिस ने यार के रुख़्सार की तरफ़

दाम-ओ-क़फ़स न चाहिए दिल के शिकार कूँ

बुत-परस्तों कूँ है ईमान-ए-हक़ीक़ी वस्ल-ए-बुत

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