Coupletss of Saghar Siddiqui

Coupletss of Saghar Siddiqui
नामसाग़र सिद्दीक़ी
अंग्रेज़ी नामSaghar Siddiqui
जन्म की तारीख1928
मौत की तिथि1974
जन्म स्थानAmritsar

ज़ुल्फ़-ए-बरहम की जब से शनासा हुई

ज़िंदगी जब्र-ए-मुसलसल की तरह काटी है

ये किनारों से खेलने वाले

तुम गए रौनक़-ए-बहार गई

तक़दीर के चेहरे की शिकन देख रहा हूँ

रंग उड़ने लगा है फूलों का

नग़्मों की इब्तिदा थी कभी मेरे नाम से

मुस्कुराओ बहार के दिन हैं

मौत कहते हैं जिस को ऐ 'साग़र'

मर गए जिन के चाहने वाले

मैं ने जिन के लिए राहों में बिछाया था लहू

मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर

लोग कहते हैं रात बीत चुकी

ख़ाक उड़ती है तेरी गलियों में

काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या

कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फ़रिश्तों की नज़र

जो चमन की हयात को डस ले

जिस दौर में लुट जाए ग़रीबों कमाई

जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाई

जिन से ज़िंदा हो यक़ीन ओ आगही की आबरू

जिन से अफ़्साना-ए-हस्ती में तसलसुल था कभी

झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई

जब जाम दिया था साक़ी ने जब दौर चला था महफ़िल में

हूरों की तलब और मय ओ साग़र से है नफ़रत

हम बनाएँगे यहाँ 'साग़र' नई तस्वीर-ए-शौक़

है दुआ याद मगर हर्फ़-ए-दुआ याद नहीं

ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं

एक नग़्मा इक तारा एक ग़ुंचा एक जाम

दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत

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