Coupletss of Bashir Badr (page 5)

Coupletss of Bashir Badr (page 5)
नामबशीर बद्र
अंग्रेज़ी नामBashir Badr
जन्म की तारीख1935
जन्म स्थानBhopal

हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका

हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं

हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके

हँसो आज इतना कि इस शोर में

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है

गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है

ग़ज़लों ने वहीं ज़ुल्फ़ों के फैला दिए साए

ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे

घर नया बर्तन नए कपड़े नए

गले में उस के ख़ुदा की अजीब बरकत है

इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक

एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला

दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे

दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे

दिन में परियों की कोई कहानी न सुन

दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है

दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है

दादा बड़े भोले थे सब से यही कहते थे

चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना

चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर

बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली

भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले

बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे

बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम

बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा

बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी

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