Coupletss of Saleem Kausar

Coupletss of Saleem Kausar
नामसलीम कौसर
अंग्रेज़ी नामSaleem Kausar
जन्म की तारीख1945

ज़ोरों पे 'सलीम' अब के है नफ़रत का बहाव

ये लोग इश्क़ में सच्चे नहीं हैं वर्ना हिज्र

ये आग लगने से पहले की बाज़-गश्त है जो

याद का ज़ख़्म भी हम तुझ को नहीं दे सकते

वो जिन के नक़्श-ए-क़दम देखने में आते हैं

वक़्त रुक रुक के जिन्हें देखता रहता है 'सलीम'

तुम ने सच बोलने की जुरअत की

तुम तो कहते थे कि सब क़ैदी रिहाई पा गए

तुझे दुश्मनों की ख़बर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं

तू ने देखा नहीं इक शख़्स के जाने से 'सलीम'

तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा

साँस लेने से भी भरता नहीं सीने का ख़ला

'सलीम' अब तक किसी को बद-दुआ दी तो नहीं लेकिन

साए गली में जागते रहते हैं रात भर

रात को रात ही इस बार कहा है हम ने

क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं

क़दमों में साए की तरह रौंदे गए हैं हम

पुकारते हैं उन्हें साहिलों के सन्नाटे

मुझे सँभालने में इतनी एहतियात न कर

मोहब्बत अपने लिए जिन को मुंतख़ब कर ले

मिरी रौशनी तिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल से मुख़्तलिफ़ तो नहीं मगर

मैं ने जो लिख दिया वो ख़ुद है गवाही अपनी

मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूँ तो किसी के हर्फ़-ए-दुआ में हूँ

मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है

मैं जानता हूँ मकीनों की ख़ामुशी का सबब

क्या अजब कार-ए-तहय्युर है सुपुर्द-ए-नार-ए-इश्क़

कुछ इस तरह से वो शामिल हुआ कहानी में

ख़ामोश सही मरकज़ी किरदार तो हम थे

कैसे हंगामा-ए-फ़ुर्सत में मिले हैं तुझ से

कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए

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