Qita Poetry (page 21)
जन्नत से निकाला हमें गंदुम की महक ने
अनवर मसूद
जन्नत ओ कौसर ओ अफ़रिश्ता ओ हूर ओ जिब्रील
अली सरदार जाफ़री
जंगल दिखाई देगा अगर ये यहाँ न हों
अंजुम रहबर
जाम-ए-इशरत का एक घोंट नहीं
साग़र सिद्दीक़ी
जमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती नय-नवाज़ी
अल्लामा इक़बाल
जाम उठा और फ़ज़ा को रक़्साँ कर
अब्दुल हमीद अदम
जाम
पॉपुलर मेरठी
जहाँ जहाँ तिरी नज़रों की ओस टपकी है
साहिर लुधियानवी
जहाँ आसाँ था दिन को रात करना
हबीब जालिब
जब्र ओ जहालत
सय्यद ज़मीर जाफ़री
जब कोई जुगनू चमकता है अँधेरी रात में
एहसान दानिश
जब किसी की याद आ कर तिलमिला जाता है दिल
एहसान दानिश
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
महेश चंद्र नक़्श
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
आसिम पीरज़ादा
जब चटानों से लिपटता है समुंदर का शबाब
अहमद नदीम क़ासमी
जब भी खिलता है सर-ए-शाख़ कोई ताज़ा गुलाब
साबिर दत्त
जाने वाले हमारी महफ़िल से
साग़र सिद्दीक़ी
जाने कब तक तिरी तस्वीर निगाहों में रही
परवीन शाकिर
जाँ बेचने को आए तो बे-दाम बेच दी
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जा रहा था मैं सर झुकाए हुए
अख़्तर अंसारी
जा रहा था हरम को मैं लेकिन
अब्दुल हमीद अदम
इतनी तल्ख़ फ़ज़ा में भी हम ज़िंदा हैं
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
इस्लामाबाद
सरफ़राज़ शाहिद
'इशरती' घर की मोहब्बत का मज़ा भूल गए
अकबर इलाहाबादी
इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद
जौन एलिया
इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
आसिम पीरज़ादा
इश्क़ की इब्तिदा है सोज़-ए-दरूँ
सूफ़ी तबस्सुम
इश्क़ इक जिंस-ए-गिराँ-माया है इक दौलत है
अली सरदार जाफ़री
इस तरह दिल में शब-ए-तन्हाई
साबिर दत्त
इस तरह आते हैं अंजाम-ए-मोहब्बत के ख़याल
एहसान दानिश