सूफ़ी तबस्सुम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सूफ़ी तबस्सुम (page 2)
नाम | सूफ़ी तबस्सुम |
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अंग्रेज़ी नाम | Sufi Tabassum |
जन्म की तारीख | 1899 |
मौत की तिथि | 1978 |
जवानी के ज़माने याद आए
इश्क़ की इब्तिदा है सोज़-ए-दरूँ
इल्म के थे बहुत हिजाब मगर
हर ख़िज़ाँ ग़ारत-गर-ए-चमन ही सही
दिल की हर आरज़ू है ख़्वाबीदा
ऐ दोस्त न पूछ मुझ से क्या है
आँसुओं में अलम का रंग न था
आज कुछ मुज़्महिल सी यादों के
है फ़ितरत-ए-ज़न रमीदा आहू की तरह
देखो शब-ए-हिज्र की दराज़ी देखो
बरसात की छा गईं घटाएँ साक़ी
अरबाब-ए-वफ़ा की जाँ-गुदाज़ी देखी
अफ़्साना-ए-ग़म है शादमानी मेरी
अब वलवले इश्क़ के तमन्ना में नहीं
आसाँ नहीं हाल-ए-दिल अयाँ हो जाना
आँखों में ख़ुमार-ए-शौक़-अफ़ज़ा ले कर
आग़ोश में आ कि कामरानी कर लूँ
रोज़ दोहराते थे अफ़्साना-ए-दिल
मिलते गए हैं मोड़ नए हर मक़ाम पर
कितनी फ़रियादें लबों पर रुक गईं
खुल के रोने की तमन्ना थी हमें
कौन किस का ग़म खाए कौन किस को बहलाए
जब भी दो आँसू निकल कर रह गए
जाने किस की थी ख़ता याद नहीं
इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई
हुस्न का दामन फिर भी ख़ाली
एक शोला सा उठा था दिल में
इक फ़क़त याद है जाना उन का
देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के
औरों की मोहब्बत के दोहराए हैं अफ़्साने