Rubaai Poetry (page 25)

दुनिया भी अजब सरा-ए-फ़ानी देखी

मीर अनीस

दुख में हर शब कराहता हूँ या-रब

मीर अनीस

दुआ

जमाल ओवैसी

दोशीज़ा-ए-बहार मुस्कुराए जैसे

फ़िराक़ गोरखपुरी

दोहराई है यादों ने कहानी तेरी

क़तील शिफ़ाई

दो दो मिरे मेहमान चले आते हैं

सना गोरखपुरी

दीवाना-ए-इश्क़ को नसीहत तौबा

यगाना चंगेज़ी

दीं ही बेहोश है न दुनिया बेहोश

ग़ुलाम मौला क़लक़

दीन और दुनिया का तफ़रक़ा है मोहमल

इस्माइल मेरठी

दिल्ली से वो जा रहा था जिस दम क़ंधार

सादिक़ैन

दिल तुझ पे मिरा जो मुब्तला रहता है

मीर हसन

दिल से मुझे आने की है आन की आहट

ग़ुलाम मौला क़लक़

दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने

जोश मलीहाबादी

दिल पर असर-ए-ख़्वाब है हल्का हल्का

शौकत परदेसी

दिल ने ग़म-ए-बे-हिसाब क्या क्या देखा

मीर अनीस

दिल मोरिद-ए-ईज़ा-ओ-बला होता है

शाद अज़ीमाबादी

दिल को हद से सिवा धड़कने न दिया

यगाना चंगेज़ी

दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं

जोश मलीहाबादी

दिल जोश-ए-मआसी से न क्यूँ ख़ूँ हो जाए

ग़ुलाम मौला क़लक़

दिल ही की तरह मुँह भी है काला देखो

परवेज़ शाहिदी

दिल है मिरा रमना-ए-ग़ज़ालान-ए-ख़याल

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

दिल देर-गुज़ारी से है आवंद-ए-नमक

ग़ुलाम मौला क़लक़

दिल देख उसे जिस घड़ी बे-ताब हुआ

नज़ीर अकबराबादी

दिल भी दामन है फैलाओ सर-ए-शब

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

ढूँडा करे कोई लाख क्या मिलता है

इस्माइल मेरठी

धीमा धीमा सा नूर जैसे तह-ए-साज़

फ़िराक़ गोरखपुरी

देखूँ कब तक गुलों की ये तिश्ना-लबी

यगाना चंगेज़ी

देखो शब-ए-हिज्र की दराज़ी देखो

सूफ़ी तबस्सुम

देखो देखो हयात-ए-फ़ानी देखो

वहशी कानपुरी

देखे हैं बहुत चमन उजड़ते बस्ते

यगाना चंगेज़ी

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