Rubaai Poetry (page 29)
अंदाज़-ओ-अदा से कुछ अगर पहचानूँ
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
अंदाज़-ए-सुख़न तुम जो हमारे समझो
मीर अनीस
अंदाज़-ए-जफ़ा बदल के देखो तो सही
जगत मोहन लाल रवाँ
अमृत वो हलाहल को बना देती है
फ़िराक़ गोरखपुरी
अमृत से फ़ज़ाएँ दम-ब-दम धुलती हैं
नरेश कुमार शाद
अल्लाह मताअ-ए-ज़िंदगानी मिल जाए
अहमद हुसैन माइल
अल्लाह अल्लाह इज़्ज़-ओ-जाह-ए-ज़ाकिर
मीर अनीस
अल-हक़ कि नहीं है ग़ैर हरगिज़ मौजूद
इस्माइल मेरठी
अल्फ़ाज़ की रग रग में रचाता हूँ लहू
नरेश कुमार शाद
अख़्तर से भी आबरू में बेहतर है ये अश्क
मीर अनीस
अख़्लाक़ से जहल इल्म-ओ-फ़न से ग़ाफ़िल
शाद अज़ीमाबादी
अख़्लाक़ से हो गई आरी दुनिया
नामी अंसारी
अख़्लाक़ के उंसुर हों अगर अस्ल मिज़ाज
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
अकबर ने जो घर मौत का आबाद किया
मीर अनीस
अक्सर ने है आख़िरत की खेती बोई
इस्माइल मेरठी
अक्सर मैं यहाँ मिस्ल-ए-समुंदर आया
फ़रीद परबती
ऐसा न हो हक़ का सामना हो जाए
यगाना चंगेज़ी
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं
जोश मलीहाबादी
ऐ तीनत अबस अब बदी से बाज़ आ
साहिर देहल्वी
ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना जाना
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ऐ शाह-ए-जुनूँ तेरे इरफ़ाँ को सलाम
फ़रीद परबती
ऐ शाह के ग़म में जान खोने वालो
मीर अनीस
ऐ साहब-ए-ज़र अमीर-ए-आला तू कौन
नामी अंसारी
ऐ रूप की लक्ष्मी ये जल्वों का राग
फ़िराक़ गोरखपुरी
ऐ रूह-ए-अवध तेरी मोहब्बत के निसार
बाक़र मेहदी
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
जोश मलीहाबादी
ऐ पर्दा-नशीं सहल हुआ ये इश्काल
ग़ुलाम मौला क़लक़
ऐ नोश-ए-लब-ओ-माह-रुख़-ओ-ज़ोहरा-जबीं
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
ऐ मोमिनो फ़ातिमा का प्यारा शब्बीर
मीर अनीस
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
जोश मलीहाबादी